किस्मत में ईनाम नहीं होता
आगाज़ तो होता है अंजाम नहीं होता
जब मेरी कहानी में वो नाम नहीं होताजब ज़ुल्फ़ की कालिख़ में घुल जाए कोई राही
बदनाम सही लेकिन गुमनाम नहीं होता
हंस- हंस के जवां दिल के हम क्यों न चुनें टुकडे़
हर शख्स़ की किस्मत में ईनाम नहीं होता
बहते हुए आंसू ने आंखों से कहा थम कर
जो मय से पिघल जाए वो जाम नहीं होता
दिन डूबे हैं या डूबे बारात लिए कश्ती
साहिल पे मगर कोई कोहराम नहीं होता
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छोड़ जाएंगे ये जहां तन्हा
चांद तन्हा है आसमां तन्हा
दिल मिला है कहां-कहां तन्हा
बुझ गई आस, छुप गया तारा
थरथराता रहा धुआं तन्हा
ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं,
जिस्म तन्हा है और जां तन्हा
हमसफ़र कोई गर मिले भी कभी
दोनों चलते रहें कहां तन्हा
जलती-बुझती-सी रोशनी के परे
सिमटा-सिमटा-सा एक मकां तन्हा
राह देखा करेगा सदियों तक
छोड़ जाएंगे ये जहां तन्हा
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बेचैनी भी साथ मिली
टुकड़े-टुकड़े दिन बीता, धज्जी-धज्जी रात मिली
जिसका जितना आंचल था, उतनी ही सौगात मिली
रिमझिम-रिमझिम बूंदों में, ज़हर भी है और अमृत भी
आंखें हंस दीं दिल रोया, यह अच्छी बरसात मिली
जब चाहा दिल को समझें, हंसने की आवाज़ सुनी
जैसे कोई कहता हो, ले फिर तुझको मात मिली
मातें कैसी घातें क्या, चलते रहना आठ पहर
दिल-सा साथी जब पाया, बेचैनी भी साथ मिली
होंठों तक आते आते, जाने कितने रूप भरे
जलती-बुझती आंखों में, सादा-सी जो बात मिली (साभार/कविताकोश)