मुग़ल ए आजम
आपको याद होगा
नौशाद अली जी ने इस पर संगीत दिया था
और 16 साल लगा दिए
इतना दृढ़ संकल्प यानी कि समर्पण
अपने काम मे जिसे भी होता है
सफलता उनके कदमो में होती है।
लेकिन जब फिल्म बनकर तैयार हुई तब
कितनी सुपर हिट हुई थी इसीलिए चर्चा आज भी हो रही है
लेकिन क्या उसको बनाने में दिक्कत नही आयी होगी ??
जरूर आयी थी,
गाने का एक दृश्य था जिसमे तानसेन गा रहे है वो दृश्य फिल्माया जाना था,
लेकिन उस जमाने मे तानसेन जैसा गायक मिलना असंभव था
उन्होंने पूछा ये गाना कौन गा सकता है??
उनके साथी ने बताया कि
ये गाना बड़े गुलाम अली खान साहब गा सकते है,
लेकिन वो फिल्म के लिए गाना नही गाते
वो बोले मुझे लेकर चलो उनके पास
और जब वो गए तो उनकी बातचीत हुई
कि कैसे आना हुआ ??
उन्होंने बता दिया कि आपसे गाना गवाना चाहते है
लेकिन खान साहब बोले मैं फिल्म के लिए गाने नही गाता
नौशाद अली उस वक्त सिगार पी रहे थे
तो कश खींचते हुए बोले कि गाना तो आप ही गाएंगे !!
एक बार समझाया नही माने
फिर से कश लिया और बोले
गाना तो
आप ही गाएंगे !!!
खान साहब बोले कैसे बदतमीज इंसान हो
उन्होंने कहा कि इनको समझाओ
मैं गाना तो नही गाता फिल्मो के लिए
और उस जमाने मे 500 rs प्रतिमाह मिलते थे
एक सिंगर को
खान साहब बोले 50000 लूंगा
नौशाद अली ने सिगार का कश लेते हुए
10000 की गड्डी निकाली और फिर बोले
गाना तो आप ही गाएंगे !!!
मान गए जनाब
क्योंकि उनको मालूम था
Best के साथ समझौता नही कर सकते
आखिरकार गाना गवा ही दिया बड़े गुलाम अली खां साहब से
इतना दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास था उनको उस फिल्म के ऊपर
जी जान से लगे रहे और 16 साल लगा दिए
और हम कितनी जल्दी हार मान लेते है ।
मजबूत इच्छाशक्ति से सफल हुआ जा सकता है