
चंद्रशेखर घोष (फाइल फोटो)
शेयर बाजार में लिस्ट होने के 5 महीने में ही बंधन बैंक का शेयर 87 फीसदी चढ़ चुका है. शेयर में तेजी से बंधन बैंक का मार्केट कैपिटलाइजेशन यस बैंक के करीब पहुंच गया है, बंधन बैंक अब देश का आठवां सबसे बड़ा बैंक है.
बना देश का आठवां सबसे बड़ा बैंक- शेयर प्राइस में तेजी की वजह से बंधन बैंक प्राइस टु बुक वैल्यू रेशियो के आधार पर देश के 10 सबसे महंगे बैंकों में शामिल हो गया है. पिछले शुक्रवार को बंधन बैंक का मार्केट कैप 83,787 करोड़ रुपये था. यह देश का 8वां सबसे बड़ा बैंक बन गया. यस बैंक 90,628 करोड़ रुपये के मार्केट कैप के साथ देश का सातवां सबसे बड़ा बैंक है. बंधन बैंक के शेयर में 8.9 की प्राइस टु बुक वैल्यू पर ट्रेडिंग हो रही है. प्राइवेट सेक्टर बैंकों की टॉप 10 लिस्ट के लिए यह आंकड़ा 2.5-5.1 है, जबकि सरकारी बैंकों के लिए यह 0.9-1.4 है. मार्केट कैप के लिहाज से देश के सबसे बड़े बैंक एचडीएफसी बैंक में 5.1 की प्राइस टु बुक वैल्यू पर ट्रेडिंग हो रही है. (ये भी पढ़ें-घुमक्कड़ों के लिए SBI का खास अकाउंट, ट्रिप प्लानिंग को बनाता है आसान)
पैसा लगाने की सलाह दे रहे हैं एक्सपर्ट- बंधन बैंक की इनकम वित्त वर्ष 2018 में 5,508 करोड़ रुपये थी और उसकी कुल लोन बुक 32,339 करोड़ रुपये की थी. इनमें से हर एक मानक पर वह सैंपल में शामिल सबसे छोटा बैंक है. 6 में से 5 एनालिस्टों ने बैंक को बाय रेटिंग दी हुई है, जबकि एक ने इसे होल्ड करने को कहा है. ब्रोकरेज फर्म जेएम फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशनल सिक्योरिटीज ने एक हालिया रिपोर्ट में लिखा था, ‘हमें लगता है कि बंधन की प्रॉफिट लंबे समय तक तेज बनी रहेगी. रूरल मार्केट में इसके लिए काफी मौके हैं. इसका रिटर्न रेशियो शानदार है. इसलिए बैंक से लंबे समय तक निवेशकों को बढ़िया रिटर्न मिल सकता है.
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ऐसे हुई थी शुरुआत-1960 में त्रिपुरा के अगरतला में जन्मे घोष के पिता मिठाई की एक छोटी सी दुकान चलाते थे. इसमें मुश्किल से ही उनके नौ सदस्यों के परिवार का गुजारा चल पाता था. घोष ने बचपन से आर्थिक तंगी देखी. वे इसी दुकान में काम करते हुए बड़े हुए, लेकिन कभी अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी. घोष ने बांग्लादेश के ढाका विश्वविद्यालय से सांख्यिकी में मास्टर्स की डिग्री ली है. उनका परिवार मूल रूप से बांग्लादेश का ही है और आजादी के समय वे शरणार्थी बनकर त्रिपुरा में आ गए थे. ढाका में अपनी पढ़ाई पूरी करने बाद उन्होंने पहला काम भी वहीं शुरू किया. (ये भी पढ़ें-अगले साल से रात 9 बजे के बाद ATM में नहीं डाली जाएगी नकदी)
नौकरी छोड़कर खुद की कंपनी शुरू की –समाज में महिलाओं की खराब स्थिति को देखते हुए घोष ने महिलाओं को लोन देने के लिए माइक्रोफाइनेंस कंपनी बनाई. लेकिन उस वक्त नौकरी छोड़कर खुद की कंपनी खोलना आसान काम नहीं था. यह जानते हुए भी कि नौकरी छोड़ने पर उनकी माता, पत्नी और बच्चों को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा, उन्होंने नौकरी छोड़ दी. चंद्रशेखर घोष ने अपने साले और कुछ लोगों से 2 लाख रुपये उधार लेकर अपनी कंपनी शुरू थी. हालांकि उस वक्त उनके करीबी लोगों ने उन्हें समझाया कि वह नौकरी न छोड़ें, लेकिन घोष को खुद पर यकीन था और इसी यकीन पर उन्होंने बंधन नाम से एक स्वयंसेवी संस्था शुरू की.
बन गया बैंक- 2009 में घोष ने बंधन को रिजर्व बैंक द्वारा NBFC यानी नॉन बैंकिंग फाइनैंस कंपनी के तौर पर रजिस्टर्ड करवा लिया. उन्होंने लगभग 80 लाख महिलाओं की जिंदगी बदल दी. वर्ष 2013 में RBI ने निजी क्षेत्र द्वारा बैंक स्थापित करने के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे. घोष ने भी बैंकिंग का लाइसेंस पाने के लिए आवेदन कर दिया. RBI ने जब लाइसेंस मिलने की घोषणा की तो हर कोई हैरान रह गया था. क्योंकि इनमें से एक लायसेंस बंधन को मिला था. बैंक खोलने का लायसेंस कोलकाता की एक माइक्रोफाइनेंस कंपनी को मिलना सच में हैरत की बात थी. 2015 से बंधन बैंक ने पूरी तरह से काम करना शुरू कर दिया.
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First published: August 21, 2018, 1:39 PM IST