बड़ा मंगलवार की तिथि
पहला बड़ा मंगलवार – 12 मई
दूसरा बड़ा मंगलवार – 19 मई
तीसरा बड़ा मंगलवार – 26 मई
चौथा बड़ा मंगलवार – 2 जून
शुभ मुहूर्त
पहले यानि 12 मई को पड़ रहे बड़ा मंगलवार के दिन शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 51 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। अगर आप इस मुहूर्त के दौरान बजरंगबली की पूजा नहीं कर पाए हैं तो आप चौघड़िया पर दिए शुभ मुहूर्त पर आराधना कर सकते हैं। चौघड़िया मुहूर्त में भी पूजा पाठ करने से हनुमानजी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
बड़े मंगल के दिन चौघड़िया मुहूर्त
सुबह 8 बजकर 55 मिनट से 10 बजाकर 36 मिनट तक चर काल
सुबह 10 बजकर 36 मिनट से दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक लाभ काल
दोपहर 12 बजकर 18 मिनट से 1 बजकर 59 मिनट तक अमृत काल
3 बजकर 40 मिनट से शाम 5 बजकर 22 मिनट तक शुभ काल
आप इस दौरान बजरंगबली की पूजा आराधना करके शुभ फल की कामना कर सकते हैं।
बड़ा मंगल की कथा बयां करती है हिंदू-मुस्लिम एकता
बड़ा मंगल से जुड़ी कथा के मुताबिक एक बार मुगल शासक मोहम्मद अली शाह का पुत्र गंभीर रूप से बीमार पड़ गया था। वैद्य-हकीमों के पास कई जगह दिखाने के बावजूद उनके बेटे की हालत ठीक नहीं हुई। ऐसे में मोहम्मद अली शाह की पत्नी रुबिया अपने बीमार बेटे को लेकर बजरंगबली के मंदिर गयी। हनुमानजी की कृपा से उनका बेटा ठीक हो गया और वो बड़ा मंगलवार का दिन था। उस दिन से बड़ा मंगलवार दिन की महत्ता बढ़ गयी।
बड़ा मंगलवार की पूजा विधि
सभी मंगलवार संकटमोचन हनुमान को ही समर्पित हैं। आप ब्रह्म मुहूर्त में उठें और घर की साफ़ सफाई कर लें।
नहा-धोकर आप सबसे पहले आमचन करें। इसके लिए आप ‘ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोअपी वा | य: स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाहान्तर: शुचि: ||’ मंत्र का उच्चारण पांच बार करें।
व्रत का संकल्प लेकर लाल रंग के वस्त्र धारण कर लें। अपने घर के पूजा गृह को गंगाजल से शुद्ध करें।
बजरंगबली को लाल अथवा सिंदूरी रंग बहुत प्रिय है इसलिए आप पूजा में लाल रंग के फूल, फल, कुमकुम आदि जरूर रखें। बड़ा मंगलवार के दिन हनुमानजी को गुड़ और धनिया का प्रसाद अवश्य चढ़ाएं।
अब पवनसुत हनुमान जी की पूजा का शुभारंभ करते हुए सबसे पहले ‘ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट’ मंत्र का उच्चारण 11 बार करें।
इस दिन हनुमान चालीसा, बजरंग बाण आदि का पाठ करना अतिफलदायी होता है।
आप घी और कपूर से आरती करके पूजा सम्पन्न करें।
रामभक्त हनुमानजी से बल, बुद्धि, विद्या और शक्ति प्रदान करने के लिए प्रार्थना करें।
सच्ची भावना के साथ उपवास रखें और शाम को आरती करने के बाद फलाहार करें। आप अगले दिन सामान्य दिनों की तरह अपनी पूजा पाठ करके व्रत खोल सकते हैं।
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