- कैलिफोर्निया में भारतीय मूल के 10 लाख से ज्यादा लोग, कोरोना के बारे में खुलासा 20 जनवरी को वाट्सएप ग्रुप पर आई सूचना से हुआ
- इराक के नजफ शहर के अस्पताल में कोरोनाग्रस्त बच्चों के लिए क्वारैंटाइन वार्ड बनाया गया है, यहां डॉक्टर-नर्स कठपुतली बनकर आते हैं
दैनिक भास्कर
Apr 23, 2020, 06:09 AM IST
कैलिफोर्निया. (क्यूपर्टिनो से सुचिता सिंघल) कैलिफोर्निया में 15 साल से रह रही हूं। इतना भयानक माहौल अमेरिका ने पहले कभी नहीं देखा। हम क्यूपर्टिनो में रहते हैं। करीब ही एपल का हेडक्वार्टर है। कैलिफोर्निया में भारतीय मूल के 10 लाख से ज्यादा लोग हैं। कोरोना के बारे में खुलासा 20 जनवरी को वाट्सएप ग्रुप पर आई सूचना से हुआ। मैसेज यहां के चाइना टाउन में 25 जनवरी को होने वाले चीनी न्यू ईयर कार्निवाल के संबंध में था। हमें इस कार्यक्रम से दूर रहने को कहा गया। 2 मार्च को चिंता और बढ़ गई, जब हमारे चीनी पड़ोसियों ने बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर दिया।
दरअसल, देश में लॉकडाउन का फैसला कोरोना फैलने के बाद लिया गया, जबकि पहले लागू कर देते तो स्थिति नहीं बिगड़ती। लॉकडाउन के बाद बच्चों का स्कूल, मेरा ट्रैवल बिजनेस करीब-करीब ठप हो गया। अब पति नरेंद्र सिंघल जो गूगल में डायरेक्टर हैं, वे भी घर से काम कर रहे हैं। दो महीने का राशन पहले ही खरीद लिया था, इसलिए खाने की चिंता नहीं है।
अभी यहां सिर्फ किराना स्टोर, अस्पताल, दवा की दुकानें, प्लम्बर सर्विस और ऑटो रिपेयरिंग की दुकानें खुली हैं। करीब 3800 रुपए की ऑनलाइन शॉपिंग करने पर होम डिलीवरी होती है। इस पर शिपमेंट चार्ज और टिप भी वसूली जा रही है। टिप 760-800 रु. है। ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म पर मास्क नहीं मिल रहे। स्टोर्स पर वाइप्स, हैंड सैनिटाइजर, टॉयलेट पेपर मुश्किल से मिल रहे हैं। एयरलाइन कंपनियां ऑफर देने लगी हैं कि लोग टिकट बुक करवाकर 760 दिन के अंदर डेस्टिनेशन बदल सकते हैं पर लोगों ने रुचि नहीं दिखाई। बच्चे ऑनलाइन पढ़ रहे हैं। 10 जून के बाद स्कूल की छुटि्टयां होती हैं। 15 अगस्त से नया सेशन शुरू होता है, पर इस बार मुश्किल है। सब चाहते हैं कि जल्द इस दौर से बाहर निकलें। -(जैसा धर्मेन्द्र सिंह भदौरिया को बताया)
इराक में कोरोना के साथ डर का भी इलाज
नजफ: यह तस्वीर इराक के नजफ शहर के अस्पताल की है। यहां पर कोरोना से ग्रस्त बच्चों के लिए क्वारैंटाइन वार्ड बनाया गया है। बच्चों को डर ना लगे इसलिए डॉक्टर, नर्स और हेल्थवर्कर कठपुतली या अन्य चर्चित कैरेक्टर्स की ड्रेस पहनकर आते हैं। दरअसल, टेस्ट के लिए कई बार स्वैब और ब्लड के सैंपल लेना पड़ते हैं। सभी प्रोटेक्टिव सूट में होते हैं, इससे बच्चे डरने लगते हैं। इसलिए स्थानीय वॉलेंटियर्स के साथ मिलकर डॉक्टर्स और हेल्थवर्कर्स ने यह पहल की है।