दैनिक भास्कर
Apr 25, 2020, 05:14 PM IST
जेनेवा. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने शनिवार को एक नई चेतावनी देते हुए कहा है कि, मौजूदा समय में ऐसे कोई सबूत नहीं है जिनके आधार पर ये कहा जा सके कि कोविड-19 वायरस से ठीक होने वाले मरीज़ों के शरीर में ऐसी एंटीबॉडीज हैं जो कि उन्हें आगे कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाए रखेंगी। संगठन ने ये भी कहा कि इस बात को लेकर भी संदेह है कि किसी को एक बार कोरोना हो जाने के बाद उसे दोबारा नहीं होगा।
कुछ दिनों पहले तक ये माना जा रहा था कि कोरोना वायरस से संक्रमित होकर ठीक होने के बाद लोगों में ऐसे एंटीबॉडीज़ के विकसित होने की संभावना है जो कि वायरस पर हमला करके दोबारा संक्रमण के खतरे को टाल सकती है। इसी के आधार पर दुनियाभर में प्लाज्मा थैरेपी से कोरोना का इलाज किया जा रहा है।
https://www.worldometers.info/coronavirus/ के अनुसार कोरोना वायरस से दुनिया भर में मरने वालों की कुल संख्या एक लाख 95 हजार 859 हो गई है, वहीं संक्रमितों की कुल तादाद कम से कम 28 लाख 46 हजार 536 हो गई है।
अभी और भी बुरा वक्त आने का डर
इससे पहले संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रॉस गीब्रियेसस ने कहा है कि इससे भी बुरा वक्त अभी आने वाला है और ऐसे हालात पैदा हो सकते हैं कि दुनिया कोविड-19 महामारी का और ज्यादा बुरा रूप देखेगी। उनकी चेतावनी के पीछे नए डेटा को आधार बताया जा रहा है जिसके मुताबिक पूरे विश्व में सिर्फ 2 से 3 फीसदी आबादी में ही इस वायरस की इम्यूनिटी है और बिना वैक्सीन के स्थितियां लगातार बिगड़ रही हैं।
लॉकडाउन में ढील से हालात बिगड़ेंगे
संगठन के महानिदेशक ने दुनिया के सभी देशों से अपील की है कि वे लॉकडाउन हटाने का फैसला लेने जल्दबाजी न करें क्योंकि यह वायरस हमारे बीच लंबे वक्त तक बना रहेगा। इसलिए कोई गलती न करे और अलर्ट रहे। कई देश इससे लड़ने के शुरुआती दौर में हैं। टेड्रोस ने कहा, “यह बहुत खतरनाक स्थिति है और मौजूदा हालात 1918 के फ्लू की तरह बन रहे हैं, जिसमें 5 करोड़ से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। लेकिन, अब हमारे पास टेक्नोलॉजी है और इसकी मदद से हम इस आपदा से बच सकते हैं।’’